Friday 11 January 2019

Nutritional Information of A2 Milk From Agrawal Dairy, Kosrangi

MILK TYPE :  Desi Cow Milk ( A2 Milk), Unprocessed Raw Milk 
Desi Cow Breed :  Sahiwal 
Fat :  4.5 and above
SNF :   9 and above
Shelf Life :  3 days , if maintained at 4 'C , for longer shelf life, please boil and refrigerate
Consumption :  Boil once before consumption, Avoid boiling multiple times
Packaging Options :  Food Grade Pouches
Packing Size :  500 ml and 1000 ml. Delivered in multiple of 500 ml and 1000 ml pouches
Nutrition Facts : 
Nutritional Information per 100 ml 
Energy : 60 kcal
Carbohydrate : 4.9g 
Sugar(Lactose) : 4.9g
Protein : 3.5g
Minerals : 0.8g
Calcium : 124 mg
Vitamin A : 35 ug
( Approximate Values ) 
Fodder :  Napier Grass, Berseem Grass
Cattle Feed :  Naturally made cattle feed with 7-8 types of Grains 

Difference Between Desi Cow and Jersey Animal


State Wise Milk Production Figures


A1 & A2 Milk Producing Cow Breeds


Thursday 10 January 2019

देसी गाय का दूध क्यों हैं अमृत समान ।

देसी गाय का दूध पृथ्वी पर सर्वोत्तम आहार है। उसे मृत्युलोक का अमृत कहा गया है। मनुष्य की शक्ति एवं बल को बढ़ाने वाला गाय का दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ इस त्रिलोकी में नहीं है। पंचामृत बनाने में इसका उपयोग होता है। गाय का दूध पीला होता है और सोने जैसे गुणों से युक्त होता है। केवल गाय के दूध में ही विटामिन ए होता है, किसी अन्य पशु के दूध में नहीं।

कभी नहीं होगा कैंसर।

देसी गाय की पीठ पर मोटा सा हम्प होता है ! जिसमे सूर्यकेतु नाड़ी होती हैं, जो सूर्य की किरणों के संपर्क में आते ही अपने दूध में स्वर्ण का प्रभाव छोड़ती हैं। जिस कारण गाय के दूध में स्वर्ण तत्व समा जाते हैं। देसी गाय का दूध पीने से कभी भी कैंसर का रोग नहीं होगा।

दूध में अनेको खनिज और पौषक तत्व।

वैज्ञानिकों के अनुसार गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन, 6 प्रकार के विटामिन, 21 प्रकार के एमिनो एसिड, 11 प्रकार के चर्बीयुक्त एसिड, 25 प्रकार के खनिज तत्त्व, 16 प्रकार के नाइट्रोजन यौगिक, 4 प्रकार के फास्फोरस यौगिक, 2 प्रकार की शर्करा, इसके अलावा मुख्य खनिज सोना, ताँबा, लोहा, कैल्शियम, आयोडीन, फ्लोरिन, सिलिकॉन आदि भी पाये जाते हैं।
इन सब तत्त्वों के विद्यमान होने से गाय का दूध एक उत्कृष्ट प्रकार का रसायन (टॉनिक) है, जो शरीर में पहुँचकर रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य को समुचित मात्रा में बढ़ाता है। यह पित्तशामक, बुद्धिवर्धक और सात्त्विकता को बढ़ाने वाला है। गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलोस्ट्रोल नहीं बढ़ता !

ज़हर भी समा लेती हैं गाय।

यदि गाय कोई विषैला पदार्थ खा जाती है तो उसका प्रभाव उसके दूध में नहीं आता। गाय के शरीर में सामान्य विषों को पचाने की अदभुत क्षमता है। ये ज़हर देसी गाय के गले के नीचे लटकने वाले मांस में ही रह जाता हैं। एक शोध किया गया जिस में हर रोज़ देसी गाय को और अमेरिकन गाय को भोजन में थोड़ा थोड़ा ज़हर दिया गया , और जब उनका दूध निकाला गया तो देशी गाय के दूध में कोई भी ज़हरीला तत्व नहीं मिला और अमेरिकन गाय में वही ज़हर पाया गया जो उसको खिलाया गया।

अनेक बीमारियो में हैं इसके फायदे।

गाय का दूध, जीर्णज्वर, मानसिक रोगों, मूर्च्छा, भ्रम, संग्रहणी, पांडुरोग, दाह, तृषा, हृदयरोग, शूल, गुल्म, रक्तपित्त, योनिरोग आदि में श्रेष्ठ है।
गाय को शतावरी खिलाकर उस गाय के दूध पर मरीज को रखने से क्षय रोग (T.B.) मिटता है।
गाय के दूध से कोलेस्टरोल नहीं बढ़ता बल्कि हृदय एवं रक्त की धमनियों के संकोचन का निवारण होता है। इस दूध में दूध की अपेक्षा आधा पानी डालकर, पानी जल जाये तब तक उबालकर पीने से कच्चे दूध की अपेक्षा पचने में अधिक हल्का होता है।
गाय के दूध में उसी गाय का घी मिलाकर पीने से और गाय के घी से बने हुए हलुए को, सहन हो सके उतने गर्म-गर्म कोड़े जीभ पर फटकारने से कैंसर मिटने की बात जानने में आयी है।
गाय के दूध में दैवी तत्त्वों का निवास है। गाय के दूध में अधिक से अधिक तेज तत्व एवं कम से कम पृथ्वी तत्व होने के कारण व्यक्ति प्रतिभा सम्पन्न होता है और उसकी ग्रहण शक्ति (Grasping Power) खिलती है। ओज-तेज बढ़ता है। इस दूध में विद्यमान ‘सेरीब्रोसाडस’ तत्व दिमाग एवं बुद्धि के विकास में सहायक है।

जानिये अमेरिकन गाय का दूध क्यों नहीं पीना चाहिए ।

अमेरिकन गाय का दूध किसी भी कीमत पर नहीं पीना चाहिए, और उसको गाय कहना भी नहीं चाहिए, ये गाय जैसी दिखती तो ज़रूर हैं, मगर हैं जंगली सुवर। ब्राज़ील जैसा देश भारतीय गायों का संरक्षण कर रहा हैं, उसने भारतीय गायों के दूध पर अनेक शोध किये और पाया के भारतीय गाय का दूध अमृत हैं। और इस का मांस विष तुल्य हैं। ब्राज़ील में भारतीय गाय जब एक्सपोर्ट की गयी तो उन्होंने भारतीय गाय से प्राप्त होने वाली हर चीज पर अनुसन्धान किया, और इसी अनुसंधान की वजह से उन्होनोे अपने देश में भारतीय गायो का संरक्षण शुरू किया, और उनका डेलीगेशन यदा कदा भारत में भारतीय गायो की संरक्षण के लिए गौशालाएं विजिट करते रहते हैं। खैर चलो आज जानते हैं के अमेरिकन गाय का दूध क्यों नहीं पीना चाहिए।
सबसे पहले आप ये जान लीजिये की स्वदेशी गाय और विदेशी जर्सी गाय की पहचान क्या है ? देशी और विदेशी गाय को पहचाने की जो बड़ी निशानी है वो ये की देशी गाय की पीठ पर मोटा सा हम्प होता है जबकि जर्सी गाय की पीठ समतल होती है ! आपको जानकर हैरानी होगी दुनिया मे भारत को छोड़ जर्सी गाय का दूध को कोई नहीं पीता ! जर्सी गाय सबसे ज्यादा डैनमार्क ,न्यूजीलैंड , आदि देशो मे पायी जाती है ! डैनमार्क मे तो कुल लोगो की आबादी से ज्यादा गाय है !

अमेरिकन गाय के दूध के नुक्सान।

और आपको ये जानकार हैरानी होगी की डैनमार्क वाले दूध ही नहीं पीते ! क्यों नहीं पीते ? क्योंकि कैंसर होने की संभवना है ,घुटनो कर दर्द होना तो आम बात है ! मधुमेह (शुगर होने का बहुत बड़ा कारण है ये जर्सी गाय का दूध ! डैनमार्क वाले चाय भी बिना दूध की पीते है !
डैनमार्क की सरकार तो दूध ज्यादा होने पर समुद्र मे फेंकवा देती है वहाँ एक line बहुत प्रचलित है ! milk is a white poison !
और जैसा की आप जानते है भारत मे 36000 कत्लखानों मे हर साल 2 करोड़ 50 गाय काटी जाती है और जो 72 लाख मीट्रिक टन मांस का उत्पन होता है वो सबसे ज्यादा अमेरिका और उसके बाद यूरोप और फिर अरब देशों मे भेजा जाता है ! आपके मन मे स्वाल आएगा की ये अमेरिका वाले अपने देश की गाय का मांस क्यो नहीं खाते ?
दरअसल बात ये है की यूरोप और अमेरिका की जो गाय है उसको बहुत गंभीर बीमारियाँ है और उनमे एक बीमारी का नाम है Mad cow disease ! इस बीमारी से गाय के सींघ और पैरों मे पस पर जाती और घाव हो जाते हैं सामान्य रूप से जर्सी गायों को ये गंभीर बीमारी रहती है अब इस बीमारी वाली गाय का कोई मांस अगर खाये तो उसको इससे भी ज्यादा गंभीर बीमारियाँ हो सकती है ! इस लिए यूरोप और अमेरिका के लोग आजकल अपने देश की गाय मांस कम खाते हैं भारत की गाय के मांस की उन्होने ज्यादा डिमांड है ! क्योंकि भारत की गायों को ये बीमारी नहीं होती है ! आपको जानकार हैरानी होगी जर्सी गायों को ये बीमारी इस लिए होती है क्योंकि उसको भी मांसाहारी भोजन करवाया जाता है ताकि उनके शरीर मे मांस और ज्यादा बढ़े ! यूरोप और अमेरिका के लोग गाय को मांस के लिए पालते है मांस उनके लिए प्राथमिक है दूध पीने की वहाँ कोई परंपरा नहीं है वो दूध पीना अधिक पसंद भी नहीं करते !!
तो जर्सी गाय को उन्होने पिछले 50 साल मे इतना मोटा बना दिया है की वे भैंस से भी ज्यादा बत्तर हो गई है ! यूरोप की गाय की जो मूल प्रजातियाँ है holstein, friesian ,jarsi ये बिलकुल विचित्र किसम की है उनमे गाय का कोई भी गुण नहीं बचा है ! जितने दुर्गुण भैंस मे होते हैं वे सब जर्सी गाय मे दिखाई देते हैं !
उदाहरण के लिए जर्सी गाय को अपने बच्चे से कोई लगाव नहीं होता और जर्सी गाय अपने बच्चे को कभी पहचानती भी नहीं ! कई बार ऐसा होता है की जर्सी गाय का बच्चा किसी दूसरी जर्सी गाय के साथ चला जाए उसको कोई तकलीफ नहीं !
लेकिन जो भारत की देशी गाय है वो अपने बच्चे से इतना प्रेम करती है इतना लगाव रखती है की अगर उसके बच्चे को किसी ने बुरी नजर से भी देखा तो वो मार डालने के लिए तैयार हो जाती है ! देशी गाय की जो सबसे बड़ी विशेषता है वो ये की वह लाखो की भीड़ मे अपने बच्चे को पहचान लेती है और लाखो की भीड़ मे वो बच्चा अपनी माँ को पहचान लेता हैं ! जर्सी गाय कभी भी पैदल नहीं चल पाती ! चलाने की कोशिश करो तो बैठ जाती है ! जबकि भारतीय गाय की ये विशेषता है उसे कितने भी ऊंचे पहाड़ पर चढ़ा दो चढ़ती चली जाएगी !
कभी आप हिमालय पर्वत की परिक्रमा करे जितनी ऊंचाई तक मनुष्य जा सकता है उतनी ऊंचाई तक आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! आप ऋषिकेश ,बद्रीनाथ ,आदि जाए जितनी ऊंचाई पर जाए 8000 -9000 फिट तक आपको देशी गाय देखने को मिलेगी ! जर्सी गाय को 10 फिट ऊपर चढ़ाना पड़े तकलीफ आ जाती है
जर्सी गाय का पूरा का पूरा स्वभाव भैंस जैसा है बहुत बार ऐसा होता है जर्सी गाय सड़क पर बैठ जाये और पीछे से लोग होरन बजा बजा कर पागल हो जाते है लेकिन वो नहीं हटती ! क्योंकि हटने के लिए जो i q चाहिए वो उसमे नहीं है !!
यूरोप और अमेरिका के भोजन विशेषज्ञ (nutrition expert) हैं ! उनका कहना है की अगर जर्सी गाय का भोजन करे तो 15 से 20 साल मे कैंसर होने की संभवना , घुटनो का दर्द तो तुरंत होता है , sugar, arthritis, asthma और ऐसे 48 रोग होते है इसलिए उनके देश मे आजकल एक अभियान चल रहा है की अपनी गाय का मांस कम खाओ और भारत की सुरक्षित गाय मांस अधिक खाओ ! इसी लिए यूरोपियन कमीशन ने भारत सरकार के साथ समझोता कर रखा है और हर साल भारत से 72 लाख मीट्रिक टन मांस का निर्यात होता है जिसके लिए 36000 कत्लखाने इस देश मे चल रहें हैं !!
तो मित्रो उनके देश के लोग ना तो आजकल अपनी गाय का मांस खा रहे हैं और ना ही दूध पी रहें हैं ! और हमारे देश के नेता इतने हरामखोर है की एक तरह तो अपनी गाय का कत्ल करवा रहें हैं और दूसरी तरफ उनकी सूअर जर्सी गाय को भारत मे लाकर हमे बर्बाद करने मे लगे है ! पंजाब और गुजरात से सबसे ज्यादा जर्सी गाय है !

दूध की क्वालिटी।

दूध को दो श्रेणियों मे बांटा गया है A1 और A2 !
A1 जर्सी गाय का, A2 भारतीय देशी गाय का !
एक गंभीर बात आपको सुन कर हैरानी होगी भारत की बहुत सी घी बेचने वाली कंपनियाँ बाहर से जर्सी गाय का दूध import करती है ! तो होता ये है की इन कंपनियो को अधिक से अधिक रोज घी बनाना है अब इतनी गाय को संभलना उनका पालण पोषण करना वो सब तो इनसे होता नहीं ! और ना ही इतनी गाय ये फैक्ट्री मे रख सकते है तो ये लोग क्या करते है डैनमार्क आदि देशो से A1 दूध (जर्सी गाय ) का मँगवाते है powder (सूखा दूध) के रूप मे ! उनसे घी बनाकर हम सबको बेच रहें है ! और हम सबकी मजबूरी ये है की आप इनके खिलाफ कुछ कर नहीं सकते क्योंकि भारत मे कोई ऐसा कानून नहीं बना जो ये कहता है की जर्सी गाय का दूध A1 नहीं पीना चाहिए ! अगर कानून होगा तो ही आप कुछ करोगे ना ? यहाँ A1 – को जाँचने की लैब तक नहीं ! नेता देश बेचने मे मस्त हैं

गाय का घी।

और घी भी देशी गाय का ही खाएं !! गाय के घी के बारे मे अधिक जानकारी के लिए ये जान लीजिये ! गाय का घी मुख्य रूप से 2 तरह का है एक खाने वाला घी है और दूसरा पंचग्व्या नाक मे डालकर इलाज करने वाला ! ( पंचग्व्या घी की लागत बहुत होती है क्योंकि 2 -2 बूंद नाक मे या नाभि मे पड़ता है 48 रोग ठीक करता है (8 से 10 हजार रूपये लीटर बिकता है) लेकिन 10 ML ही महीना चल जाता है ! इसको असली विधि जो आयुर्वेद मे लिखी उसी ढंग से बनाने वाले भारत मे नाम मात्र लोग है !
गाय के घी का एक चम्मच जलाया जाए तो वो कई गुना ऑक्सीजन पैदा करता हैं। अस्थमा के रोगी के कमरे में अगर गाय के घी का बना हुआ दिया नियमित जलाया जाए तो उसका अस्थमा बहुत जल्दी सही होगा।
आयुर्वेद मे खाने वाला गाय के दूध का घी निकालने की जो विधि लिखी है उस विधि से आप घी निकले तो आपको 1200 से 2000 रुपए किलो पड़ेगा ! क्योकि 1 किलो घी के लिए 25 से 30 लीटर दूध लग जाता है ! महंगा होने का कारण ये भी है की देशी गाय की संख्या कम होती जा रही है कत्ल बहुत हो रहा है वैसे तो यही घी सबसे बढ़िया है ! लेकिन एक दूसरे ढंग से भी आजकल निकालने लग गए हैं ! जिससे दूध से सीधा क्रीम निकालकर घी बनाया जाता है ! अब समस्या ये है की लगभग सभी कंपनियाँ या तो भैंस का घी बेचती है या गाय का घी बोलकर जर्सी का बेच रही है !

गाय का गोबर।

गाय के गोबर में इतनी ताक़त होती हैं के ये परमाणु विस्फोट से निकलने वाली हानिकारक गैस के असर को बाहर ही रोक लेती हैं। भोपाल गैस काण्ड में कुछ परिवारो के बचने की खबर आई थी वो लोग कच्चे घरो में रहते थे और उनके घरो की दीवारो को गाय के गोबर से लीपा हुआ था।
कम खा लीजिये लेकिन जर्सी का कभी मत खाएं !! और दूध भी हमेशा देशी गाय का ही पिये !
और अंत मे एक और बात जान लीजिये अब इन विदेशी लोगो को भारत की गाय की महत्ता का अहसास होने लगा है आपको जानकर हैरानी होगी भारतीय नस्ल की सबसे बढ़िया गाय( गीर गाय ) को जर्मनी वाले अपने देश मे ले जाकर इनका वंश आगे बढ़ाकर 2 लाख डालर (लगभग 1 करोड़ की एक गाय बेच रहें है !
जबकि भारत मे ये गीर गाय सिर्फ 5000 ही रह गई है