देसी गाय का दूध पृथ्वी पर सर्वोत्तम आहार है। उसे मृत्युलोक का अमृत कहा गया है। मनुष्य की शक्ति एवं बल को बढ़ाने वाला गाय का दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ इस त्रिलोकी में नहीं है। पंचामृत बनाने में इसका उपयोग होता है। गाय का दूध पीला होता है और सोने जैसे गुणों से युक्त होता है। केवल गाय के दूध में ही विटामिन ए होता है, किसी अन्य पशु के दूध में नहीं।
कभी नहीं होगा कैंसर।
देसी गाय की पीठ पर मोटा सा हम्प होता है ! जिसमे सूर्यकेतु नाड़ी होती हैं, जो सूर्य की किरणों के संपर्क में आते ही अपने दूध में स्वर्ण का प्रभाव छोड़ती हैं। जिस कारण गाय के दूध में स्वर्ण तत्व समा जाते हैं। देसी गाय का दूध पीने से कभी भी कैंसर का रोग नहीं होगा।
दूध में अनेको खनिज और पौषक तत्व।
वैज्ञानिकों के अनुसार गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन, 6 प्रकार के विटामिन, 21 प्रकार के एमिनो एसिड, 11 प्रकार के चर्बीयुक्त एसिड, 25 प्रकार के खनिज तत्त्व, 16 प्रकार के नाइट्रोजन यौगिक, 4 प्रकार के फास्फोरस यौगिक, 2 प्रकार की शर्करा, इसके अलावा मुख्य खनिज सोना, ताँबा, लोहा, कैल्शियम, आयोडीन, फ्लोरिन, सिलिकॉन आदि भी पाये जाते हैं।
इन सब तत्त्वों के विद्यमान होने से गाय का दूध एक उत्कृष्ट प्रकार का रसायन (टॉनिक) है, जो शरीर में पहुँचकर रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य को समुचित मात्रा में बढ़ाता है। यह पित्तशामक, बुद्धिवर्धक और सात्त्विकता को बढ़ाने वाला है। गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलोस्ट्रोल नहीं बढ़ता !
ज़हर भी समा लेती हैं गाय।
यदि गाय कोई विषैला पदार्थ खा जाती है तो उसका प्रभाव उसके दूध में नहीं आता। गाय के शरीर में सामान्य विषों को पचाने की अदभुत क्षमता है। ये ज़हर देसी गाय के गले के नीचे लटकने वाले मांस में ही रह जाता हैं। एक शोध किया गया जिस में हर रोज़ देसी गाय को और अमेरिकन गाय को भोजन में थोड़ा थोड़ा ज़हर दिया गया , और जब उनका दूध निकाला गया तो देशी गाय के दूध में कोई भी ज़हरीला तत्व नहीं मिला और अमेरिकन गाय में वही ज़हर पाया गया जो उसको खिलाया गया।
अनेक बीमारियो में हैं इसके फायदे।
गाय का दूध, जीर्णज्वर, मानसिक रोगों, मूर्च्छा, भ्रम, संग्रहणी, पांडुरोग, दाह, तृषा, हृदयरोग, शूल, गुल्म, रक्तपित्त, योनिरोग आदि में श्रेष्ठ है।
गाय को शतावरी खिलाकर उस गाय के दूध पर मरीज को रखने से क्षय रोग (T.B.) मिटता है।
गाय के दूध से कोलेस्टरोल नहीं बढ़ता बल्कि हृदय एवं रक्त की धमनियों के संकोचन का निवारण होता है। इस दूध में दूध की अपेक्षा आधा पानी डालकर, पानी जल जाये तब तक उबालकर पीने से कच्चे दूध की अपेक्षा पचने में अधिक हल्का होता है।
गाय के दूध में उसी गाय का घी मिलाकर पीने से और गाय के घी से बने हुए हलुए को, सहन हो सके उतने गर्म-गर्म कोड़े जीभ पर फटकारने से कैंसर मिटने की बात जानने में आयी है।
गाय के दूध में दैवी तत्त्वों का निवास है। गाय के दूध में अधिक से अधिक तेज तत्व एवं कम से कम पृथ्वी तत्व होने के कारण व्यक्ति प्रतिभा सम्पन्न होता है और उसकी ग्रहण शक्ति (Grasping Power) खिलती है। ओज-तेज बढ़ता है। इस दूध में विद्यमान ‘सेरीब्रोसाडस’ तत्व दिमाग एवं बुद्धि के विकास में सहायक है।
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